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NCERT Class 8th Hindi Chapter 7: मत बाँधो (प्रश्न-अभ्यास)
यह NCERT कक्षा 8 हिंदी, पाठ 7 'मत बाँधो' के प्रश्न-अभ्यास का विस्तृत और व्यवस्थित उत्तर है।
पाठ से प्रश्न-अभ्यास
मेरी समझ से
(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उपयुक्त उत्तर के सम्मुख तारा (★) बनाइए। कुछ प्रश्नों के एक से अधिक उत्तर भी हो सकते हैं-
प्रश्न 1. आप इनमें से कविता का मुख्य भाव किसे समझते हैं?
- सपने मात्र कल्पनाएँ हैं
- सपनों को भूल जाना चाहिए
- सपनों की स्वतंत्रता बनी रहनी चाहिए ★
- सपने देखना अच्छी बात है
प्रश्न 2. ‘मत बाँधो’ कविता किसकी स्वतंत्रता की बात करती है?
- प्रेम की
- शिक्षा की
- सपनों की ★
- अधिकारों की
प्रश्न 3. “इन सपनों के पंख न काटो” पंक्ति में सपनों के ‘पंख’ होने की कल्पना क्यों की गई है ?
- सपने जीवन में कुछ नया करने की प्रेरणा देते हैं ★
- सपने सफलता की ऊँचाइयों तक ले जाते हैं
- सपने पंखों की तरह उड़ान भर भ्रमण करवाते हैं
- सपने पंखों की तरह कोमल और अनेक प्रकार के होते हैं
प्रश्न 4. “स्वर्ग बनाने का फिर कोई शिल्प” पंक्ति में ‘स्वर्ग’ से आप क्या समझते हैं ?
- जहाँ किसी प्रकार का शारीरिक कष्ट न हो
- जहाँ अतुलनीय धन संपत्ति हो
- जहाँ परस्पर सहयोग एवं सद्भाव हो ★
- जहाँ सभी प्राणी एक-दूसरे के प्रति संवेदनशील हों ★
प्रश्न 5. यदि बीज धूल में गिर जाए तो क्या हो सकता है?
- वह बहुत तेजी से उड़ सकता है
- वह और गहरा हो सकता है
- उसकी उड़ान रुक सकती है
- वह बढ़कर पौधा बन सकता है ★
(ख) हो सकता है कि आपके समूह के साथियों ने अलग-अलग उत्तर चुने हों। अपने मित्रों के साथ चर्चा कीजिए कि आपने ये उत्तर ही क्यों चुने?
उत्तर: हमने यही उत्तर इसलिए चुने क्योंकि कविता और जीवन के अनुसार यही बातें उचित हैं। ये सभी बातें हमें जीवन में ऊँचा उठना और आगे बढ़ना सिखाती है।
पंक्तियों पर चर्चा (भावार्थ)
कविता में से चुनकर कुछ पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं। इन्हें ध्यानपूर्वक पढ़िए और इन पर विचार कीजिए । आपको इनका क्या अर्थ समझ में आया? अपने विचार अपने समूह में साझा कीजिए और लिखिए।
(क) “सौरभ उड़ जाता है नभ में
फिर वह लौट कहाँ आता है ?
बीज धूलि में गिर जाता जो
वह नभ में कब उड़ पाता है ?”
उत्तर: कवयित्री कहती हैं कि सुगंध जब एक बार आसमान में उड़ जाती है तो वह आसमान में ही खो जाती है और फिर लौटकर नहीं आती। इसी प्रकार बीज भी जब धूल में गिरता है और उस समय उसे जल और सूर्य से पोषित ना किया जाए तो उसमें भी अंकुर नहीं फूटता । इसी प्रकार जब हम अपने सपनों को महत्व देकर उसे पूरा करने का प्रत्येक संभव प्रयास नहीं करते तो वह भी अपना अस्तित्व खोकर हमारे जीवन से दूर चला जाता है और नष्ट हो जाता है।
(ख) “मुक्त गगन में विचरण कर यह
तारों में फिर मिल जायेगा,
मेघों से रंग औ’ किरणों से
दीप्ति लिए भू पर आयेगा ।”
उत्तर: जब हम अपने सपनों को पूरा करने का प्रयास करते हैं तो यह प्रत्येक तारे रूपी सहायक वस्तुओं के साथ मिलकर जीवन रूपी आसमान में स्वतंत्र उड़कर कामयाबी रूपी मेघों के संग मिलकर सुख रूपी किरणों के साथ बरस कर, लाभ रूपी प्रकाश के साथ, भूमि रूपी हमारे जीवन में उतरता है और दूसरों के लिए भी प्रेरणा बन जाता है इसी कारण सपनों को स्वतंत्र उड़ने देना चाहिए।
मिलकर करें मिलान
कविता में से चुनकर कुछ पंक्तियाँ स्तंभ 1 में दी गई हैं। उन पंक्तियों के भाव या संदर्भ स्तंभ 2 में दिए गए हैं। पंक्तियों को उनके सही भाव अथवा संदर्भ से मिलाइए।
| स्तंभ 1 (पंक्ति) | स्तंभ 2 (भाव/संदर्भ) | सही उत्तर (स्तंभ 2 का क्रमांक) |
| 1. इन सपनों की गति मत बाँधो! | 3. इन्हें लक्ष्य की ओर बढ़ने दो। | 3 |
| 2. सौरभ उड़ जाता है नभ में... | 5. समय के साथ-साथ अवसर भी नष्ट हो जाता है। | 5 |
| 3. बीज धूलि में गिर जाता जो... | 1. प्रयास करने पर ही सफलता मिल पाती है। | 1 |
| 4. स्वर्ग बनाने का फिर कोई शिल्प... | 2. अच्छे सपनों से ही धरती पर सुख आता है। | 2 |
| 5. इन सपनों के पंख न काटो | 4. इन्हें कल्पना रूपी उड़ान भरने दो। | 4 |
सोच-विचार के लिए
(क) कविता में ‘मत बाँधो’, ‘पंख न काटो’ आदि संबोधन किसके लिए किए गए होंगे?
उत्तर: कविता में ‘मत बाँधो’ और ‘पंख न काटो’ – संबोधन ‘सपनों’ के लिए किए गए हैं। कवयित्री कहती हैं कि हमें अपने सपनों को स्वतंत्र उड़ने देना चाहिए ।
(ख) कविता में सपनों की गति न बाँधने की बात क्यों कही गई होगी?
उत्तर: कविता में सपनों की गति न बाँधने की बात इसलिए कहीं गई होगी क्योंकि यदि सपनों को स्वतंत्र उड़ने नहीं दिया जाएगा तो वे हमारी आँखों में रह जाएँगें और समय के साथ खो जाएँगे, तथा एक बार यदि वो खो गए तो दुबारा आँखों में लौटकर नहीं आएँगे। इसी कारण हमें अपने सपनों को पूरी गति से इच्छाओं और प्रयासों को स्वतंत्र आसमान में उड़ने देना चाहिए।
(ग) कविता में सौरभ, बीज, धुआँ, अग्नि जैसे उदाहरणों के माध्यम से सपनों को इनसे भिन्न बताते हुए उसे विशेष बताया गया है। आपकी दृष्टि में इन सबसे अलग सपनों की और कौन – सी विशेषताएँ हो सकती हैं?
उत्तर:
- सौरभ – आसमाँ में फैलकर खो जाता है।
- बीज – धरती में पोषित होकर अंकुरित होता है।
- धुआँ – सदैव आसमान में मँडराता रहता है।
- अग्नि – धरती पर जलकर प्रकाश देती है।
इन सबसे भिन्न सपनों की बड़ी ही सुंदर विशेषता है और वो है – “ सपने – पूरे होकर जीवन को स्वर्ग के समान सुंदर बनाते हैं। ” साथ ही दूसरों के सपनों को भी पूरा होने हेतु प्रेरित करते हैं।
(घ) कविता में ‘आरोहण’ और ‘अवरोहण’ दोनों के महत्व की बात की गई है। उदाहरण देकर बताइए कि आपने ‘आरोहण’ और ‘अवरोहण’ को कब-कब सार्थक होते देखा ?
उत्तर: आरोहण और अवरोहण का अर्थ होता है किसी भी वस्तु का ऊपर उठना और नीचे गिरना । आरोहण – ऊपर उठने का संकेत है तथा अवरोहण नीचे गिरने का। जीवन में हम सपना देखते हैं कि कक्षा में प्रथम आए। यदि इस सपने को पूरा करने हेतु हम निरंतर प्रयास करते हैं तो आरोहण की गति से इसे पूर्ण करने में सफल हो जाते हैं या जीवन में कुछ बनने की इच्छा रखते हैं तो चाहे कितनी भी कठिनाई आए उसे प्रत्येक संभव प्रयास से पूरा करने का प्रयत्न करते हैं तो हम सफल हो जाते हैं परंतु जब हम इन सपनों के लिए कोई प्रयास नहीं करते तो यह अवरोहण की गति पर हार जाते हैं अर्थात नीचे गिर जाते हैं और नष्ट हो जाते हैं।
(ङ) “सपनों में दोनों ही गति है / उड़कर आँखों में आता है ! “क्या आप सहमत हैं कि सपने ‘आँखों में लौटकर’ वास्तविकता बन जाते हैं? अपने अनुभव या आस-पास के अनुभवों से कोई उदाहरण दीजिए।
उत्तर: यह बात बिल्कुल सत्य है कि सपने उड़कर खो भी जाते हैं और जीवंत होकर आँखों में लौट भी आते हैं। यह बात मैंने अपने पड़ोस में रहने वाले एक 10वीं के छात्र में देखी। उसने बॉक्सिंग में गोल्ड जीतने का सपना देखा परंतु उसका यह सफर आसान न था क्योंकि घरवाले उसे केवल एक खेल मानकर पढ़ने और बोर्ड परीक्षा में अच्छे अंक लाने हेतु लगातार दबाव बनाते। वह छात्र दोहरी जिंदगी में पिस जाता था परंतु उसने हिम्मत नहीं हारी। वह 10वीं में तो केवल 65% अंक लाया, परंतु राजकीय स्तर पर उसने बॉक्सिंग में न केवल गोल्ड जीता; बल्कि सरकार की तरफ से सम्मानित भी किया गया और बाद में वह ओलम्पियाड क तैयारी में लग गया। इस प्रकार अथक प्रयासों से उसका सपना उसकी आँखों में वास्तविक बनकर उतर गया।
शीर्षक
कविता का शीर्षक है ‘मत बाँधो’। यदि आपको इस कविता को कोई अन्य नाम देना हो तो क्या नाम देंगे? आपने यह नाम क्यों सोचा ? यह भी लिखिए।
उत्तर: यदि मैं इस कविता का शीर्षक रखना चाहूँ तो मैं इस कविता का शीर्षक – ‘सपने’ रखना चाहूँगा। क्योंकि पूरी कविता का मुख्य आधार ‘सपने’ ही है। जीवन में सपने बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। हमें इन्हें पूरा करने का प्रयास करना चाहिए। इन्हें नजर अंदाज न करके स्वतंत्र आसमान में उड़ने देना चाहिए तभी हम भी ऊँचाइयों को छू पाते हैं। इसी कारण हम प्रस्तुत कविता का शीर्षक ‘सपने’ रखना चाहेंगे।
अनुमान और कल्पना से
(क) मान लीजिए आप एक नया संसार बनाना चाहते हैं। उस संसार में आप क्या – क्या रखना चाहेंगे और क्या-क्या नहीं? अपने उत्तर का कारण भी बताइए ।
उत्तर: यदि मैं एक नया संसार बनाना चाहूँ तो उसे मैं अपने सपनों का संसार बनाऊँगा । मेरा संसार जितना देखने में सुंदर होगा उतना ही उसमें रहना भी खूबसूरत होगा।
| संसार में रखना चाहूँगा | संसार में नहीं रखना चाहूँगा |
| सभी लोगों के पास सुख-शांति हो । | लालच नहीं रखना चाहूँगा । |
| किसी को धन की कमी न हो। | जो दूसरों पर अत्याचार करे, जो दूसरों के साथ अन्याय करे; ऐसे लोगों को मैं अपने संसार में नहीं चाहता। |
| सब अच्छा पहने और अच्छा खाएँ । | लड़ाई, झगड़ा, युद्ध, मैं अपने संसार में नहीं चाहता। |
| सब मिल-जुलकर रहें । | युद्ध की भावना और हिंसा का मेरे संसार में कोई स्थान नहीं। |
| सबके सपने पूरे हों । | ग्लोबल वार्मिंग और प्रदूषण मेरे संसार में न हो। |
| सुंदर प्रकृति हो – पेड़-पौधे, पशु-पक्षी, पहाड़, झरने, तालाब, फुलवारी इत्यादि । | मेरे संसार में कोई गरीब न हो और न ही कोई भूखा सोए। |
| सभी शिक्षित हों और सभी विकसित हों। | मेरे संसार में कोई अनपढ़ न हो । |
| एक-दूसरे के सहयोगी हो । | मेरा संसार दूषित ना हो । |
(ख) कविता में शिल्प और कला के महत्व की बात की गई है। कलाएँ हमारे आस-पास की दुनिया को सुंदर बनाती हैं। आप अपने जीवन को सुंदर बनाने के लिए कौन-सी कला सीखना चाहेंगे? उससे आपका जीवन कैसे सुंदर बनेगा ? अनुमान करके बताइए |
उत्तर: कला और शिल्प सचमुच हमारे जीवन को सुंदर बनाती हैं। कला हमेशा हमारा वातावरण सजाती है फिर चाहे मूर्तिकला हो, चित्रकला या कोई शिल्प नक्काशी की कला। हमारे इतिहास की अनेक धरोहर स्वरूप ईमारतें, गुफाएँ और मंदिर हैं जो, मूर्ति, शिल्प और चित्रकला के उत्कृष्ट नमूने हैं। यदि मुझे किसी कला को सीखने का अवसर मिला तो मैं चित्रकला सीखना चाहूँगा, क्योंकि मुझे किसी भी चीज़ में रंग भरने अच्छे लगते हैं। चित्रकला सीखकर मैं सुंदर-सुंदर चित्र बनाकर उन्हें फ्रेम करवाऊँगा और फिर उससे अपना घर सजाऊँगा ।
(ग) “सौरभ उड़ जाता है नभ में / फिर वह लौट कहाँ आता है?” यदि आपके पास अपने बीते हुए समय में लौटने का अवसर मिले तो आप बीते हुए समय में क्या-क्या परिवर्तन करना चाहेंगे?
उत्तर: यदि हमें अपने बीते समय में एक बार भी लौटने का अवसर मिला तो मैं उन सब भूलों में सुधार करूँगा, जिसके कारण मुझे नुकसान उठाना पड़ा। मैं अपने जीवन को अधिक बेहतर ढंग से सँवारूँगा, पढ़ाई पर अधिक ध्यान दूँगा । अपने माता-पिता, अध्यापक और अपने बड़ों की बातों पर ध्यान देकर सही दिशा में कदम बढ़ाऊँगा वो सभी चीजें जो वर्तमान में मुझे मेरी गलती का एहसास करवातीं हैं उन्हें सुधारूंगा। इसके साथ ही अपने सपनों को फिर से जिंदा करके जीवन को अधिक सरल व सुंदर बनाने का पूरा प्रयास करूँगा ।
(घ) “बीज धूलि में गिर जाता जो / वह नभ में कब उड़ पाता है?” यदि सपने बीज की तरह हों तो उन्हें उगने के लिए किन चीजों की आवश्यकता होगी ? (संकेत- धूप अर्थात मेहनत, पानी अर्थात लगन आदि ।)
उत्तर: यदि सपने बीज की तरह होते तो हम उन्हें बहुत ध्यान-से सँभाल कर रखते। अपने सपनों का पौधा उगाने के लिए हम उसमें लगन का पानी डालते और मेहनत की धूप से सींचते। हम सपने रूपी बीजों को अपने परिश्रम और साहस से पोषित करते और हर संभव प्रयास करते जिससे कि वे बीज अंकुरित होकर फलदायक वृक्ष में परिवर्तित हों। ये केवल हमारे सुख का कारण न बने बल्कि दूसरों के लिए भी प्रेरणास्त्रोत बने ।
(ङ) “स्वर्ग बनाने का फिर कोई शिल्प / भूमि को सिखलायेगा!” यदि अच्छे सपनों या विचारों से स्वर्ग बनाया जा सकता है तो बुरे सपनों अथवा विचारों से क्या होता होगा? बुरे सपनों या विचारों से कैसे बचा जा सकता है?
उत्तर: अच्छे सपने सचमुच स्वर्ग जैसे जीवन का निर्माण करते हैं। यदि हम बुरे सपने देखते हैं जिसमें स्वयं की इच्छापूर्ति हेतु दूसरों का नुकसान हो रहा है तो ऐसे सपने जीवंत होकर कभी भी स्वर्ग का निर्माण नहीं करेंगे बल्कि ये तो नर्क बनाने का कार्य करेंगे। क्योंकि स्वर्ग तभी बनता है, जब उसमें केवल एक ही व्यक्ति सुखी न होकर सभी सुखी हों। हमें इससे बचने हेतु स्वार्थ, लालच और बुरे विचारों को छोड़ना होगा। हमें अपने साथ-साथ दूसरों के सुख के बारे में सोचते हुए सहयोग की भावना का भी विस्तार करना होगा।
(च) “इन सपनों के पंख न काटो / इन सपनों की गति मत बाँधो!” कल्पना कीजिए कि हर किसी को सपने देखने और उन्हें पूरा करने की पूरी स्वतंत्रता मिल जाए, तब दुनिया कैसी होगी? आपके अनुसार उस दुनिया में कौन-सी बातें महत्वपूर्ण होंगी?
उत्तर: यदि सभी को अपने सपने पूर्ण करने का अवसर मिल जाए तो वह दुनिया बहुत खूबसूरत होगी परंतु यह बात बहुत महत्वपूर्ण है कि सपना ऐसा हो जो दूसरों की जिंदगी में दखल देकर उनके अधिकार न छीने। संसार में यदि सबको सपने पूर्ण करने की स्वतंत्रता मिल जाए तो यह अनिवार्य होना चाहिए कि उन सपनों को पूर्ण करने के लिए कौन- कितना प्रयास कर रहा है? साथ ही सबके सपने मर्यादा में भी होने चाहिए। दुनिया में सभी यदि अपने सपनों के साथ-साथ दूसरों के अधिकारों की भी रक्षा करेंगे तो दुनिया अवश्य खूबसूरत बनेंगी अन्यथा बिखर जाएगी।
(छ) “इन सपनों के पंख न काटो / इन सपनों की गति मत बाँधो!” आपके विचार से यह सुझाव है? आदेश है? प्रार्थना है? या कुछ और है ? यह बात किससे कही जा रही है?
उत्तर: ‘इन सपनों के पंख ना काटो / इन सपनों की गति मत बाँधो?’ हमारे विचार से यह न तो आदेश है और न ही प्रार्थना। विचारपूर्वक यदि समझा जाए तो यह एक प्रेरणा है। जो प्रत्येक व्यक्ति को प्रेरित कर रही है कि जीवन में सम्मानपूर्वक जियो और अपने सपनों को स्वतंत्र आसमान में विचरण करने दो; उन्हें साहस और परिश्रम से तब तक सींचों जब तक उसमें अंकुर ना फूटे। यह बात प्रत्येक व्यक्ति से कही जा रही है।
कविता की रचना
(क) अपने समूह के साथ मिलकर इन विशेषताओं की सूची बनाइए। अपने समूह की सूची को कक्षा में सबके साथ साझा कीजिए ।
उत्तर: कविता में अनेक ऐसे उदाहरण हैं जिनका चित्र आँखों के सामने उभरता है।
जैसे-
- मुक्त गगन में विचरण
- तारों में फिर मिल
- मेघों से रंग औ’ किरणों से
- दीप्ति लिए भू पर आयेगा
(ख) नीचे इस कविता की कुछ विशेषताएँ और वे पंक्तियाँ दी गई हैं जिनमें ये विशेषताएँ समाहित हैं। विशेषताओं का सही पंक्तियों से मिलान कीजिए ।
| विशेषताएँ (स्तंभ 1) | पंक्तियाँ (स्तंभ 2) | सही उत्तर (स्तंभ 2 का क्रमांक) |
| 1. प्रश्न पूछकर अपनी बात पर जोर देना। | 2. वह नभ में कब उड़ पाता है? | 2 |
| 2. एक ही विचार को अलग शब्दों से दोहराना। | 5. इन सपनों के पंख न काटो, इन सपनों की गति मत बाँधो! | 5 |
| 3. तुलना करके समझाना। | 6. सौरभ उड़ जाता है नभ में... | 6 |
| 4. विपरीत विचारों को सामने रखकर जोर डालना। | 1. इसका आरोहण मत रोको, इसका अवरोहण मत बाँधो! | 1 |
| 5. दृश्य और रंग से अपनी बात कहना। | 4. मेघों से रंग औ’ किरणों से... | 4 |
| 6. क्रिया का एक से अधिक बार प्रयोग। | 3. उड़ जाता है नभ में... लौट कहाँ आता है? | 3 |
शब्दों की बात
(क) नीचे दिए रिक्त स्थान में ‘आरोहण’ और ‘अवरोहण’ का उपयुक्त प्रयोग करके वाक्यों को पूरा कीजिए ।
- पर्वतारोहियों ने बीस दिन तक पर्वत पर आरोहण कर विजय प्राप्त की।
- नदियाँ विशाल पर्वतों से अवरोहण करते हुए सागर में मिल जाती हैं।
- अंकगणित में बड़ी संख्या से छोटी संख्या की ओर लिखने की प्रक्रिया अवरोहण क्रम कहलाती है।
‘आरोहण’ और ‘अवरोहण’ शब्दों का प्रयोग करते हुए कुछ सार्थक वाक्य:
- मैंने इस मीनार की 150 सीढ़ियों पर आरोहण किया।
- सुमित की मूर्खता ने उसकी गति को अवरोहण की दिशा में धकेल दिया।
- एवरेस्ट पर आरोहण बहुत ही कठिन है।
(ख) ‘नभ’ और ‘गगन’ समान अर्थ वाले शब्द हैं। रेखांकित शब्दों के समानार्थी शब्दों का प्रयोग करते हुए कुछ नई पंक्तियों की रचना कीजिए।
उत्तर:
- वह नभ में कब उड़ पाता है ।
- धूम गगन में मँडराता है ।
नवीन पंक्तियाँ-
नील आकाश का है विस्तार,
किसने जाना व्योम का पार?
मेरे सपने अंबर तक जाते,
नील गगन पर शोभा पाते।
(ग) कविता में ‘मत’ शब्द के साथ ‘बाँधो’, ‘काटो’ क्रिया लगाई गई है। आप ‘मत’ के साथ कौन-कौन-सी क्रियाएँ लगाना चाहेंगे? लिखिए।
उत्तर: ‘मत’ शब्द के साथ अन्य क्रियाएँ–
- ‘मत खाओ’
- ‘मत जाओ’
- ‘मत सुनो’
- ‘मत बोलो’
- ‘मत खेलो’
- ‘मत कहो’
- ‘मत मानो’
- ‘मत देखो’
- ‘मत समझो’
- ‘मत करो’
(घ) आपकी भाषा में ‘ बाँधने’ के लिए और कौन-कौन सी क्रियाएँ हैं? अपने समूह में चर्चा करके लिखिए और उनसे वाक्य बनाइए । (संकेत – जोड़ना)
| क्रियाएँ | वाक्य |
| जकड़ना | ये खुंखार जीव है, इसे जंजीरों से जकड़ लो। |
| कसना | माँ ने अपने नन्हें पुत्र को बाहों में कस लिया। |
| मिलाना | चीनी को अच्छी तरह से पानी में मिलाओ । |
| चिपकाना | लकड़ी को फेविकोल से दरवाजे पर अच्छी तरह चिपकाओ । |
| लगाना | दीवार पर तस्वीर को कील से लगाओ। |
(ङ) ‘मत’ शब्द को उलट कर लिखने से शब्द बनता है ‘तम’ जिसका अर्थ है ‘अँधेरा’। कविता में से कुछ ऐसे और शब्द छाँटिए जिन्हें उलट कर लिखने से अर्थ देने वाले शब्द बनते हैं।
| मूल शब्द | उलटकर बना शब्द | अर्थ |
| ‘जाता’ | ‘ताजा’ | हरा-भरा |
| ‘धूम’ | ‘मधू’ | शहद (मधु का अपभ्रंश) |
| ‘यह’ | ‘हय’ | घोड़ा |
| ‘कहाँ’ | ‘हाँक’ | हुँकार |
काल परिवर्तन
वर्तमान काल में लिखी गई कविता की अन्य पंक्तियाँ तथा भूतकाल और भविष्य काल में उनका परिवर्तन
| वर्तमान काल | भूतकाल | भविष्य काल |
| ‘फिर वह लौट कहाँ आता है?’ | फिर वह लौट कहाँ आता था? | फिर वह लौट कहाँ आएगा? |
| ‘वह नभ में कब उड़ पाता है’? | वह नभ में कब उड़ पाता था? | वह नभ में कब उड़ पाएगा? |
| ‘बीज धूलि में गिर जाता जो ‘ | बीज धूलि में गिर जाता था । | बीज धूलि में गिर जाएगा। |
| ‘अग्नि सदा धरती पर जलती’ | अग्नि सदा धरती पर जलती थी। | अग्नि सदा धरती पर जलेगी। |
| ‘धूम गगन में मँडराता है ।’ | धूम गगन में मँडराता था । | धूम गगन में मँडराएगा । |
| ‘सपनों में दोनों ही गति है’ | सपनों में दोनों ही गति थी। | सपनों दोनों ही गति होगी । |
| ‘उड़कर आँखों में ही आता है ।’ | उड़कर आँखों में ही आता था। | उड़कर आँखों में ही आएगा। |
शब्दकोश से
शब्दकोश से ‘शिल्प’ शब्द से जुड़े निम्नलिखित शब्दों के अर्थ खोजकर लिखिए-
| शब्द | अर्थ |
| शिल्पकार, शिल्पी, शिल्पजीवी, शिल्पकारक, शिल्पिक या शिल्पकारी | ये सभी शब्द कारीगरी का काम करने वाले या कारीगरी से संबंधित कार्य को दर्शाते हैं। |
| शिल्पकला | हस्तकला, शिल्पकारी, कारीगरी, दस्तकारी। |
| शिल्पकौशल | कला और शिल्प, शिल्प, कारीगर कला, शिल्प शास्त्र। |
| शिल्पगृह या शिल्पगेह | शिल्पशाला, कलाशाला, कला- केंद्र। |
| शिल्पविद्या | कलात्मक विद्या, कलात्मक कौशल, कला और शिल्प। |
| शिल्पशाला या शिल्पालय | शिल्पगृह, कार्यशाला, शिल्प का घर, शिल्प का स्थान, कारखाना। |
पाठ से आगे प्रश्न-अभ्यास
आपकी बात
(ख) ‘स्वर्ग’ शब्द से आशय है ‘सुखद स्थान’। अर्थात वह स्थान जहाँ सुख, शांति, समृद्धि और आनंद की अनुभूति हो । अपने घर, आस-पड़ोस और विद्यालय को सुखद स्थान बनाने के लिए आप क्या – क्या प्रयास करेंगे? सूची बनाइए और घर के सदस्यों के साथ साझा कीजिए ।
उत्तर: अपने घर, पास-पड़ोस और विद्यालयों को सुखी बनाने के लिए हम निम्नलिखित कार्य कर सकते हैं-
- पेड़-पौधे लगाकर हरा-भरा कर सकते हैं।
- घर, पास-पड़ोस और विद्यालय को स्वच्छ रख सकते हैं।
- सभी के साथ मिल-जुलकर सहयोग करते हुए रह सकते हैं।
- सभी से प्रेम से मीठा बोलकर रह सकते हैं।
- विद्यालय में गुरुओं का आदर करके और ध्यानपूर्वक पढ़कर अच्छे अंक ला सकते हैं।
- माता-पिता और बुजुर्गों का आदर सम्मान कर सकते हैं।
- पास-पड़ोस में प्रेमपूर्वक रहकर खुशियाँ बाँट सकते हैं।
(ग) कविता में सपनों की बात की गई है। आपका कौन – सा सपना ऐसा है जो यदि सच हो जाए तो वह दूसरों की सहायता कर सकता है? उसके विषय में बताइए |
उत्तर: मेरा सपना डॉक्टर बनने का है और मैं इसमें बहुत मेहनत करूँगा, जिससे कि बड़ा होकर डॉक्टर बनकर दूसरों का इलाज कर सकूँ। मैं भविष्य में डॉक्टर बनकर लालच नहीं करूँगा, यदि कोई गरीब या जरूरतमंद होगा तो उसका निःशुल्क इलाज भी करूँगा।
सृजन
(क) विराम चिह्न का फेरबदल – आप किन चित्रों के लिए ‘रोको मत, जाने दो’ या ‘रोको, मत जाने दो’ का प्रयोग करेंगे? दिए गए रिक्त स्थान में लिखिए और इन चित्रों को शीर्षक भी दीजिए।
| चित्र | शीर्षक | प्रयोग |
| (पहला चित्र, संभवतः किसी को जाने देना) | विदाई का पल | रोको मत, जाने दो |
| (दूसरा चित्र, संभवतः किसी को रोकना) | खतरा | रोको, मत जाने दो |
(ख) कविता आगे बढ़ाएँ
इन सपनों के पंख न काटो,
इन सपनों की गति मत बाँधों ।
उत्तर:
स्वतंत्र नभ में उड़ने दो इन्हें,
पिछड़ेपन की सीमा लाँघो ।।
(ग) खोया-पाया (स्कूल प्रशासन के नाम पत्र)
सेवा में,
श्रीमान प्रबंधक जी,
अ.ब.स. विद्यालय
सुमित्रा विहार, दिल्ली।
विषय – ‘सपना खोने’ की रिपोर्ट हेतु ।
मान्यवर,
निवेदन यह है कि मैं आपके विद्यालय का आठवीं ‘अ’ का छात्र हूँ। अभी दो दिन पहले ही मैंने अपने मित्र के साथ एक सुंदर सपना देखा था कि हम दोनों ने मिलकर विद्यालय में एक सुंदर फुलवारी सजाई है। हम बस कुछ दिनों बाद ही अपने अन्य साथियों के साथ इस कार्य को आरंभ करने वाले थे, परंतु मेरा वो सपना कहीं खो गया है, मैंने कक्षा में भी पूछा परंतु कुछ पता नहीं चला।
अतः आपसे मेरा निवेदन है कि आप मेरा सपना खोजने में मेरी सहायता करें। मैं और मेरे मित्र आपके आभारी रहेंगे।
आशा है आप जल्द ही मेरा सपना मुझे ढूँढ़कर देंगे। आपकी अति कृपा होगी।
धन्यवाद!
आपका आज्ञाकारी शिष्य,
क. ख.ग.
देखना – सुनना – समझना….
(क) जो व्यक्ति देख पाने में सक्षम नहीं है, आप उन्हें निम्नलिखित स्थितियों का अनुभव कैसे करवा सकते हैं-
| स्थिति | अनुभव कराने का माध्यम |
| वर्षा की बूँदों का | स्पर्श से (हाथ पर बूँदें गिराकर) |
| धुएँ के उड़ने का | बोलकर (धुएँ की दिशा और फैलने का वर्णन करके) |
| खेल के रोमांच का | बोलकर (कमेंट्री की तरह रोमांचक वर्णन करके) |
आपदा प्रबंधन
(क) कक्षा में अपने शिक्षकों के साथ चर्चा कीजिए कि क्या-क्या करेंगे यदि-
| स्थिति | आप क्या करेंगे? |
| कहीं अचानक आग लग जाए | घबराएँ नहीं, शांत रहें। लोगों को आवाज़ लगाकर स्थिति से अवगत कराएँ। आग वाले स्थान से तुरंत बाहर निकलें व अन्य को भी निकालें। लिफ्ट के स्थान पर सीढ़ियों का प्रयोग करें। मुँह पर गीला कपड़ा रखे। तुरंत फायरब्रिगेड को 112 नंबर पर कॉल करें। |
| आपके क्षेत्र में बाढ़ आ जाए | परिवार और पड़ोसियों को हिम्मत बँधाएँगे । घर के जरूरी सामानों को एकत्रित कर सुरक्षित करेंगे। बिजली, गैस की मुख्य सप्लाई बंद कर देंगे । घर की छत पर चले जाएँगे । आपातकालीन नम्बर पर तुरंत कॉल करके सहायता माँगेंगे। |
| भूकंप आ जाए | जल्दी से भागेंगे नहीं। किसी मजबूत मेज या पलंग के नीचे छिप जाएँगे। किसी मजबूत चीज़ को पकड़ लेंगे। पंखे, काँच, अलमारी से दूर रहेंगे। यदि संभव हो तो इमारत से बाहर निकलकर खाली स्थान पर आ जाएँगे। |
शिल्प
(क) अपने समूह के साथ मिलकर नीचे दिए गए शिल्प-कार्यों को उनके सही अर्थों या व्याख्या से मिलाइए-
| शिल्प-कार्य (स्तंभ 1) | अर्थ/व्याख्या (स्तंभ 2) | सही उत्तर (स्तंभ 2 का क्रमांक) |
| 1. धातुशिल्प | 4. धातुओं की कलाकारी | 4 |
| 2. मृद्भांड शिल्प | 5. मिट्टी के बर्तन बनाना | 5 |
| 3. काष्ठ शिल्प | 6. लकड़ी की कारीगरी | 6 |
| 4. पत्थर शिल्प | 1. पत्थर की कलाकारी | 1 |
| 5. चर्म शिल्प | 2. चमड़े की कलाकारी | 2 |
| 6. हस्तशिल्प | 3. हाथ से बनी कलाकारी | 3 |
| 7. तंतु शिल्प | 13. कपड़े या धागे से बनी कलाकारी | 13 |
| 8. चित्रकला शिल्प | 12. किसी कैनवास पर चित्र बनाना | 12 |
| 9. नाट्य शिल्प | 11. किसी नाटक की रचना | 11 |
| 10. लेखन शिल्प | 14. लेखन की कलाकारी | 14 |
| 11. प्रस्तर शिल्प | 9. बड़ी-बड़ी चट्टानों को तराशना | 9 |
| 12. आभूषण शिल्प | 8. आभूषणों को बनाने की कला | 8 |
| 13. बाँस शिल्प | 7. बाँस से बनी कलाकारी | 7 |
| 14. रँग शिल्प | 10. रंगों से कलाकारी करना | 10 |
NCERT Solutions for Class 8 Hindi Chapter 7: क्या निराश हुआ जाए (Old Syllabus)
(नोट: यह प्रश्न-अभ्यास आपके द्वारा प्रदान किए गए पिछले अध्याय के प्रश्नों पर आधारित है।)
पाठ से प्रश्न-अभ्यास
Question 1: लेखक ने स्वीकार किया है कि लोगों ने उन्हें भी धोखा दिया है फिर भी वह निराश नहीं हैं। आपके विचार से इस बात का क्या कारण हो सकता है?
Solution: लेखक का मानना है कि अगर वह इन धोखों को याद रखेगा तो उसके लिए विश्वास करना बेहद कष्टकारी होगा। ऐसी घटनाएँ भी बहुत कम नहीं हैं जब लोगों ने अकारण उनकी सहायता की है, निराश मन को ढाँढस दिया है और हिम्मत बँधाई है। जैसे टिकट बाबू द्वारा बचे हुए पैसे लौटाना, बस कंडक्टर द्वारा दूसरी बस व बच्चों के लिए दूध लाना आदि। इसलिए उसे विश्वास है कि समाज में मानवता, प्रेम, आपसी सहयोग समाप्त नहीं हो सकते।
Question 2: दोषों का पर्दाफ़ाश करना कब बुरा रूप ले सकता है?
Solution: दोषों का पर्दाफ़ाश करना तब बुरा रूप ले सकता है जब हम किसी के आचरण के गलत पक्ष को उद्घाटित करके उसमें रस लेते है या जब हमारे ऐसा करने से वे लोग उग्र रूप धारण कर किसी को हानि पहुँचाए।
Question 3: आजकल के बहुत से समाचार पत्र या समाचार चैनल ‘दोषों का पर्दाफ़ाश’ कर रहे हैं। इस प्रकार के समाचारों और कार्यक्रमों की सार्थकता पर तर्क सहित विचार लिखिए?
Solution: इस प्रकार के पर्दा फाश से समाज में व्याप्त बुराईयों से, अपने आस-पास के वातावरण तथा लोगों से अवगत हो जाते हैं और इसके कारण समाज में जागरूकता भी आती है साथ ही समाज समय रहते ही सचेत और सावधान हो जाता हैं।
Question 4: निम्नलिखित के संभावित परिणाम क्या-क्या हो सकते हैं?
| कथन | संभावित परिणाम |
| ”ईमानदारी को मूर्खता का पर्याय समझा जाने लगा है। ” | भ्रष्टाचार बढ़ेगा। |
| ”सच्चाईकेवल भीरु और बेबस लोगों के हिस्से पड़ी है।” | तानाशाही बढ़ेगी। |
| ”झूठ और फरेब का रोज़गार करनेवाले फल-फूल रहे हैं।” | भ्रष्टाचार बढ़ेगा। |
| ”हर आदमी दोषी अधिक दिख रहा है, गुणी कम।” | अविश्वास बढ़ेगा। |
Question 5: लेखक ने लेख का शीर्षक ‘क्या निराश हुआ जाए’ क्यों रखा होगा? क्या आप इससे भी बेहतर शीर्षक सुझा सकते हैं?
Solution: लेखक ने इस लेख का शीर्षक ‘क्या निराश हुआ जाए’ उचित रखा है। आजकल हम अराजकता की जो घटनाऍ अपने आसपास घटते देखते रहते हैं, जिससे हमारे मन में निराशा भर जाती है। लेकिन लेखक हमें उस समय समाज के मानवीय गुणों से भरे लोगों को और उनके कार्यों को याद करने को कहते हैं जिससे हम निराश न हों। इसका अन्य शीर्षक ‘हम निराशा से आशा’ भी रख सकते हैं।
Question 6: यदि ‘क्या निराश हुआ जाए’ के बाद कोई विराम चिहन लगाने के लिए कहा जाए तो आप दिए गए चिह्नों में से कौन-सा चिहन लगाएँगे?
Solution: मैं प्रश्न चिन्ह ‘क्या निराश हुआ जाए?’ लगाना उचित समझता हूँ, क्योंकि लेखक समाज में व्याप्त बुराइयों के बीच भी पाठकों से एक सवाल कर रहा है, जिसके उत्तर में सकारात्मक दृष्टि अपेक्षित है।
भाषा की बात
Question 1: द्वंद्व समास के बारह उदाहरण ढूँढ़कर लिखिए।
| द्वंद्व समास | समास विग्रह |
| सुख-दुख | सुख और दुख |
| भूख-प्यास | भूख और प्यास |
| हँसना-रोना | हँसना और रोना |
| आते-जाते | आते और जाते |
| राजा-रानी | राजा और रानी |
| चाचा-चाची | चाचा और चाची |
| सच्चा-झूठा | सच्चा और झूठा |
| पाना-खोना | पाना और खोना |
| पाप-पुण्य | पाप और पुण्य |
| स्त्री-पुरूष | स्त्री और पुरूष |
| राम-सीता | राम और सीता |
| आना-जाना | आना और जाना |
Question 2: पाठ से तीनों प्रकार की संज्ञाओं के उदाहरण खोजकर लिखिए।
| संज्ञा का प्रकार | उदाहरण |
| जातिवाचक संज्ञा | बस, यात्री, मनुष्य, ड्राइवर, कंडक्टर, हिंदू, मुस्लिम, आर्य, द्रविड़, पति, पत्नी आदि। |
| भाववाचक संज्ञा | ईमानदारी, सच्चाई, झूठ, चोर, डकैत, गरीबी, जवानी आदि। |
| व्यक्तिवाचक संज्ञा | (पाठ में स्पष्ट रूप से किसी व्यक्ति/स्थान का नाम नहीं है, लेकिन उदाहरण के लिए) भारत, रविंद्रनाथ, गांधी, तिलक आदि। |
Chapter 7: Factors of Production - Deep Dive Notes
I. Core Concepts & Definitions
1. Factors of Production (FOP)
- Definition: The resources or inputs required and used in the process of producing goods and services. Businesses combine these factors to create output and generate economic opportunities.
- Four Primary Types: Land, Labour, Capital, and Entrepreneurship.
- Facilitator/Crucial Factor: Technology.
2. Business
- Definition: A firm, shop, factory, etc., that produces or sells goods or provides a service.
3. Productivity
- Definition: The ability to do more in a particular time period.
II. The Four Factors of Production
A. Land (Natural Resources)
- Economic Scope: Encompasses more than just geographical land; includes all natural resources.
- Examples: Soil, forests, water, air, sunlight, minerals, oil, and natural gas.
- Acquisition: Businesses either purchase the land or pay rent to use it for a specified time.
B. Labour (Human Resources)
- Definition: The physical and mental effort involved in production.
- Contribution: Everyone contributes differently through their work, applying varying levels of physical strength, knowledge, and skill.
- Examples: Carpenters, farmers, construction workers, teachers, and doctors.
Distinction: Labour vs. Human Capital
- Labour: Refers to the basic physical and mental effort.
- Human Capital: Refers to the specialised skills, knowledge, abilities, and expertise required to perform that labour. It is the quality and efficiency of the labour, not just the basic effort.
C. Capital
- Definition (Economic): Any asset, whether physical or financial, used to produce goods and services.
- Components:
- Monetary Resources (Financial Capital): Funds used for operations.
- Durable Assets (Physical Capital): Machinery, tools, equipment, vehicles, factories, office buildings, etc..
- Sources of Capital:
- Personal savings, family, and friends (initial support).
- Loans from Banks: Requires paying Interest.
- Stock Market: Large companies raise financial capital by offering shares to the public, granting them a part of the profits (Dividend).
D. Entrepreneurship
- Definition: The act of starting one's own business or creating a new solution to a problem.
- Entrepreneur (The Driving Force): A person who:
- Identifies a problem and is resolute to solve it with an innovative solution.
- Takes risks by investing money and time.
- Combines various factors of production.
- Makes key decisions regarding the operation and functioning of the business.
- Contributes to the welfare of society with his/her innovation.
- Impact: Creates innovative products/services, generates job opportunities, and supports livelihoods.
III. Facilitators and Challenges of Human Capital
A. Facilitators of Human Capital Development 1. Education and Training:
* **Education:** Helps gain knowledge (basic literacy to specific field expertise) and prepares individuals to solve real-world problems. * **Training:** The process of learning the required skills to do a particular job or activity. Essential for hands-on application and skill excellence.
- Healthcare:
- Impact: Good health supports cognitive (learning and understanding) development. Healthy workers are more productive (do more in less time), creative, and have fewer work absences.
- Social and Cultural Influences:
- A culture of hard work, continuous improvement, and striving for excellence drives national progress.
- Examples:
- Kaizen (Japan): Concept of 'continuous improvement'.
- German Work Ethic: High value on punctuality, attention to detail, and quality; contributed to their global leadership in manufacturing.
B. Challenges & National Context
- Literacy Rate in India (2023, World Bank): Males: 85%; Females: 70%.
- Demographic Dividend: India has a young, productive population (65% below 35 years as of Economic Survey 2024).
- Definition of Dividend: The benefit a country gets when it has a large number of young, working people and fewer dependents.
- Prerequisite: Requires access to quality education, health, training, and skilling to be successfully leveraged.
IV. Technology: An Enabler of Production
- Definition: The application of scientific knowledge.
- Role: It is a facilitator and a crucial factor that enables businesses to produce more goods with the same or fewer inputs.
- Mechanism: Technology, especially newer advancements, replaces old methods, making production easier and improving work processes (e.g., email replacing letters).
- Impact on Human Capital:
- Eliminates geographical barriers, providing access to knowledge, skill development, and jobs globally.
- Enables online learning (e.g., SWAYAM MOOCs) and career services (e.g., National Career Service portal).
V. Interconnectedness and Responsibilities
A. The Interconnected System
- Integration: Land, labour, capital, entrepreneurship, and technology are combined to produce goods and services.
- Dependence: The required proportion of each factor depends on the product:
- Labour-Intensive: Agriculture, construction, handicrafts (rely more on labour).
- Capital-Intensive: Semiconductor chips, satellites (require more capital, specialised machinery).
- Complementary Nature: The factors are interconnected and complement each other. If one factor is missing or misused, production can become inefficient or halt.
- Geographic Interconnectedness: Businesses procure production inputs from various locations, creating a global supply chain (a network of individuals, organizations, and resources involved in production and sale).
B. Responsibilities Towards Factors of Production
1. Towards Land (Natural Resources)
- Issue: Natural resources are limited and easily harmed (e.g., pollution from leather factories or e-waste).
- Sustainable Practice: Producers must use resources responsibly to meet current needs without compromising future generations' ability to meet theirs (sustainable practices). This includes reducing waste and avoiding pollution.
2. Towards Labour (Human Capital)
- Fair Compensation and Working Conditions: Ensuring fair pay and a safe working environment.
- Skill Development and Training: Investing in education and training to keep workers competitive.
- Workplace Rights and Protections: Adhering to laws regarding fair treatment, non-discrimination, and benefits (like healthcare or paid leave).
3. Corporate Social Responsibility (CSR)
- Motivation: Businesses addressing social and environmental concerns to benefit society and biodiversity.
- Examples: Reducing pollution, community well-being, treating employees/customers with respect.
- India's Mandate: India was the first nation globally to mandate CSR (in 2014), requiring companies to spend 2% of their average profits from the last three years on CSR activities.
Next Step:
Would you like to focus on a specific Factor of Production, such as Entrepreneurship, and explore the challenges and motivations faced by real-world business owners?
🎓 Chapter 7: Factors of Production - Deep Dive Notes
Excellent! Based on the provided chapter on Factors of Production, here are expert-level, deep study notes covering every key concept, relationship, and nuance.
I. Core Concepts & Definitions
1. Factors of Production (FOP)
- Definition: The resources or inputs required and used in the process of producing goods and services. Businesses combine these factors to create output and generate economic opportunities.
- Four Primary Types: Land, Labour, Capital, and Entrepreneurship.
- Facilitator/Crucial Factor: Technology.
- Remuneration (The Reward for Use): (Information from search results, adding expert-level detail to the concept)
- Land: Rent.
- Labour: Wages/Salaries.
- Capital: Interest (return on investment).
- Entrepreneurship: Profit.
2. Business
- Definition: A firm, shop, factory, etc., that produces or sells goods or provides a service.
3. Productivity
- Definition: The ability to do more in a particular time period.
II. The Four Factors of Production (FOPs)
A. Land (Natural Resources)
- Economic Scope: Encompasses more than just geographical land, including all natural resources.
- Examples: Soil, forests, water, air, sunlight, minerals, oil, and natural gas.
- Acquisition: Businesses either purchase the land or pay rent to use it for a specified time.
B. Labour (Human Resources)
- Definition: The physical and mental effort involved in production.
- Contribution: Everyone contributes differently through their work, applying varying levels of physical strength, knowledge, and skill.
- Examples: Carpenters, farmers, construction workers, teachers, and doctors.
Distinction: Labour vs. Human Capital
- Labour: Refers to the basic physical and mental effort.
- Human Capital: Refers to the specialised skills, knowledge, abilities, and expertise required to perform that labour. It is the quality and efficiency of the labour, not just the basic effort.
C. Capital
- Definition (Economic): Any asset, whether physical or financial, used to produce goods and services.
- Components:
- Monetary Resources (Financial Capital): Funds used for operations.
- Durable Assets (Physical Capital): Machinery, tools, equipment, vehicles, vending carts, shops, factories, office buildings, etc..
- Sources of Capital:
- Personal savings, family, and friends (first source of funds).
- Loans from Banks: Requires paying Interest (the amount paid by the borrower to the lender for using their money).
- Stock Market: Large companies raise financial capital by offering shares to the public, granting them a part of the profits called a Dividend.
D. Entrepreneurship
- Definition: Starting one's own business or creating something new to solve a problem.
- Entrepreneur (The Driving Force): A person who comes up with an idea, takes risks, gathers other factors of production, and makes key decisions.
- Role/Tasks:
- Identifies a problem and is resolute to solve it with an innovative solution.
- Combines various factors of production.
- Contributes to the welfare of society with his/her innovation.
- Impact: Brings innovative products/services to market, creates job opportunities, and supports livelihoods.
III. Facilitators and Challenges of Human Capital
A. Facilitators of Human Capital Development
- Education and Training:
- Education: Helps individuals gain knowledge and prepare to solve real-world problems.
- Training: The process of learning the required skills to do a particular job or activity.
- Healthcare:
- Impact: Supports cognitive development. Healthy workers give their best, physically and mentally, allowing them to be more productive and creative.
- Social and Cultural Influences:
- A culture of hard work and continuous improvement (e.g., Japanese kaizen or German work ethic of punctuality and quality) helps countries achieve higher standards of living.
B. Challenges & National Context
- Adult Literacy Rate in India (2023, World Bank): Males: 85%; Females: 70%.
- Demographic Dividend: India has a young, productive population (65% below 35 years as of Economic Survey 2024).
- Definition of Dividend: The benefit a country gets when it has a large number of young, working people and fewer dependents.
- Prerequisite: Requires access to quality education, health, training, and skilling to take advantage of this potential.
IV. Technology: An Enabler of Production
- Definition: The application of scientific knowledge.
- Role: Enables businesses to produce more goods with the same or fewer inputs.
- Mechanism: Newer technology replaces old methods, making production easier and improving work processes (e.g., drones for farming, robots in surgery). Some older, simpler technologies like pulleys and wheelbarrows remain in use.
- Impact on Human Capital:
- Eliminates geographical barriers.
- Provides access to knowledge and skill development through online platforms (e.g., SWAYAM MOOCs) and career/job services (e.g., National Career Service portal).
V. Interconnectedness and Responsibilities
A. The Interconnected System
- Combination: FOPs are combined to produce goods and services.
- Complementary Nature: The factors are interconnected and complement each other. If one factor is missing, production can become inefficient or halt.
- Intensity:
- Labour-Intensive: Agriculture, construction, handicrafts (rely more on labour).
- Capital-Intensive: Semiconductor chips, satellites (require more capital and specialised machinery).
- Supply Chain: Production relies on the supply chain, a network of resources and activities. Disruptions (e.g., due to reliance on far-off sources) can halt production.
B. Responsibilities Towards FOPs
1. Towards Land (Natural Resources)
- Imperative: Resources are limited and must be used responsibly (sustainable practices).
- Action: Producers should reduce waste, avoid pollution, and protect the environment while making products.
2. Towards Labour (Workers)
- Fair Compensation and Working Conditions: Ensuring fair pay and a safe environment.
- Skill Development and Training: Investing in education and training to keep workers competitive.
- Workplace Rights and Protections: Adhering to laws against discrimination and providing benefits (e.g., healthcare, paid leave).
3. Corporate Social Responsibility (CSR)
- Motivation: Addressing social and environmental concerns to benefit society and biodiversity.
- India's Mandate: India was the first nation globally to pass a CSR law (in 2014) mandating companies to spend 2% of their average profits on CSR activities.
The video discusses the core factors of production, which is the foundational topic of this chapter.